

सभी मौन क्यों
“नारी तुम केवल श्रध्दा हो………”
भारत जहाँ नारी को पुरातन काल मे देवी का दर्जा दिया जाता था, स्वयम्वर का अधिकार मिला था, हर तरह की आजादी और अधिकार था,आज वही नारी सिर्फ जय शंकर प्रसाद जी की इस कविता में ही स्वयं के लिए श्रध्दा देख पाती है।
भारत देश में महिलाओं के ऊपर अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली से लेकर छोटे से गाँव तक,परिस्थिति एक ही है। समाज का मौन, स्वयं महिलाओं का मौन ही इसका प्रमुख कारण है।
अधिकतर पीड़ित महिलाएं अपने अधिकार व महिला सुरक्षा से जुड़े कानूनों के बारे में सही तरीके से जानती तक नहीं हैं व इसी के अभाव में वे उचित कदम नही उठा पाती हैं।उनको चुप रहना पड़ता है या परिवार या समाज के दवाब से सब खोमोशी से झेलती रहती हैं।
भारत के दंड संहिता के अनुसार अपहरण अथवा बहला फुसला के भगा ले जाना, बलात्कार, दहेज़ के लिए मार डालना, पत्नी से मारपीट, यौन उत्पीड़न, शारीरिक या मानसिक शोषण, आदि को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। महिला हिंसा से जुड़े केसों में लगातर वृद्धि हो रही है और अब तो ये बहुत तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं।बलात्कार, हत्या, अपहरण आदि को आपराधिक हिंसा की श्रेणी में गिना जाता है तथा दफ़्तर में बदसलूकी या घर में दहेज़ के लिए मारना, यौन शोषण, पत्नी से मारपीट, जैसी घटनाएँ घरेलू हिंसा का उदाहरण है।
भारत में महिलाओं के प्रति होती यह हिंसा अब एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। आज शिक्षा के लिए, नौकरी के लिए महिलाओं को घर के बाहर निकलना ही पड़ता है। ऐसे में इसे अब और ज्यादा अनदेखा नहीं किया जा सकता । हमारे देश की आधी जनसँख्या महिलाएं हैं। उनकी सुरक्षा को लेकर हम कब तक सिर्फ सरकार को दोष देते रहेंगे। हर महिला को भारत देश में महिलाओं के लिए बने कानूनी अधिकारों की जानकारी होनी बहुत आवश्यक है। हमारे कानूनी अधिकार इस प्रकार हैं-
1. नि:शुल्क कानूनी सहायता का अधिकार।
2. बयान दर्ज कराते समय गोपनीयता का अधिकार।
3. किसी भी समय शिकायत दर्ज करने का अधिकार।
4.गिरफ्तार नहीं होने और पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन न बुलाने का अधिकार।
5.जीरो एफआईआर का अधिकार।
एक बलात्कार पीड़िता सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेश किए गए जीरो एफआईआर के तहत किसी भी पुलिस स्टेशन से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है।
7. यौन उत्पीड़न मामले हल करने के लिए समिति।
8. विवाहित के साथ दुव्यर्वहार नहीं।
9. सहमति के बिना तस्वीर या वीडियो अपलोड करना अपराध।
10. तलाकशुदा का अधिकार पति के उपनाम का उपयोग करने हेतु।
11.दंडनीय अपराध स्टॉकिंग।
12. समान वेतन का अधिकार।
13. मातृत्व, चिकित्सा और रोजगार से संबंधित लाभ का अधिकार।
14. कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार
15. संपत्ति का अधिकार
महिलाएं जब अपने अधिकारों के बारे में अच्छी तरह से जानेंगी, तब घर ,ऑफिस या समाज में उनके साथ हुए किसी भी प्रकार के अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकेंगी। महिलाओं को चुप्पी तोड़नी होगी, मौन से नहीं, जागरूकता से ही इस समस्या का हल निकलेगा।
नीलम द्विवेदी
रायपुर,छत्तीसगढ़

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
