सूत्रधार बहुभाषी काव्य गोष्ठी में कवि-कवयित्रियों ने बिखेरे इंद्रधनुषी रंग

213

सूत्रधार बहुभाषी काव्य गोष्ठी में कवि-कवयित्रियों ने बिखेरे इंद्रधनुषी रंग

सूत्रधार साहित्यिक संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार संस्था के द्वारा एक बहुभाषी काव्य गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन दैनिक नवीन कदम समाचार पत्र, छत्तीसगढ़ और विश्व भाषा अकादमी, भारत के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता की, कोलकाता के ख्याति प्राप्त साहित्यकार आदरणीय सुरेश जी चौधरी ने और इसकी मुख्य अतिथि थीं, लंदन में प्रवासित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवयित्री आदरणीय मीना जी खोंड। हैदराबाद की वरिष्ठ कवयित्री ज्योति नारायण की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तत्प‌श्चात संस्था की अध्यक्ष ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों एवं सहभागियों का स्वागत किया। संस्था के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य हिन्दी भाषा एवं साहित्य के उत्थान हेतु कार्य करना तो है ही, साथ ही नवोदित रचनाकारों को एक मंच प्रदान करना भी है। हमारे देश में विविध भाषा भाषी लोग रहते हैं। उन सबकी अपनी-अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराएं हैं और उनको आगे बढ़ाने एवं संरक्षित करने में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। आज विभिन्न भाषाएं लुप्त होती जा रही हैं, इसलिए उन सबको जीवित रखना हमारी जिम्मेदारी है और इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस बहुभाषी काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया है। ये हमारा सौभाग्य है कि हमारी इस गोष्ठी में अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग भाषाओं के जानकार रचनाकार भाग ले रहे हैं।
कवयित्री आर्या झा ने ‘जिन्दगी तेरा हिसाब गड़बड़ है’ सुनाई तो मंजुला दूसी ने ‘मां के हिस्से में चैन, पिता को आराम कहां’ कविता प्रस्तुत की। बैंगलोर से अमृता श्रीवास्तव ने ‘सुई-सी होती हैं बेटियां’ का काव्य पाठ किया तो शिल्पी भटनागर ने ‘हाथों में थामे हाथ बस अब चलते हैं’ सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। अजय पाण्डे ने ‘तेरे नाम लिखी जो चिट्ठी उसको बस पढ़ लेना तुम’ कविता का पाठ किया तो प्रदीप देवीशरण भट्ट ने ‘एक दिशा थी हैदराबाद की, एक दिशा मैं मुम्बई की’ रचना प्रस्तुत की। तेलुगु और हिन्दी भाषा की कवयित्री डॉ. सुमन लता जी ने अपनी तेलुगु कविता ‘एवी आ मधुरानुभू्तुलु’ रचना के माध्यम से धरती पर बढ़ते प्रदूषण पर अपनी चिन्ता जाहिर की। वरिष्ठ कवयित्री ज्योति नारायण ने मैथिली भाषा में काव्य पाठ करते हुए ‘की कहू/ कोना के हम/अपनी जिनगी/ बनेने छी’ और हिन्दी भाषा में ‘ऐसी एक कहानी लिखना, मेरी आंख का पानी लिखना’ प्रस्तुत की। सरिता सुराणा ने मारवाड़ी भाषा में काव्य पाठ करते हुए अपनी कविता ‘ठूंठ चोखो कोनी लागै’ प्रस्तुत की तो भावना पुरोहित ने गुजराती भाषा में ‘दीवाली अमास पर आवे, होली पूनम पर आवे’ का पाठ किया। दर्शन सिंह जी ने अपनी कविता ‘दिन दा चाहे कोई वी होवे पैहर’ पंजाबी भाषा में प्रस्तुत की तो रमाकांत श्रीवास ने अपनी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी में ‘चल उठ जाग जा मोर दुलरवा बेटा’ सुनाई। रांची झारखण्ड से गोष्ठी में सम्मिलित हुईं ऐश्वर्यदा मिश्रा ने हास्य-व्यंग्य युक्त कहानी ‘छुटकू’ सुनाकर सबको हंसने पर मजबूर कर दिया। गोष्ठी की मुख्य अतिथि मीना जी खोंड ने मराठी भाषा में काव्य पाठ करते हुए अपनी कविता ‘प्रेम म्हणजे काय असतं?’ प्रस्तुत कर सबको भावविभोर कर दिया। अंत में अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए सुरेश जी चौधरी ने संस्कृत भाषा में काव्य पाठ करते हुए भुजंग प्रयात छंद में ‘जीण रक्षा स्तोत्रम्’ का अपनी ओजस्वी वाणी में पाठ किया। उनका पाठ सुनकर ऐसा लगा जैसे हम स्वयं देवी मां का आह्वान कर रहे हों। विविध भाषाओं, भावों और रसों से परिपूर्ण इस काव्य गोष्ठी की सभी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की और आगे ऐसे और आयोजनों की अपेक्षा जताई। संस्थापिका ने इस विशिष्ट आयोजन हेतु सभी सम्मानित रचनाकारों का एवं नवीन कदम समाचार पत्र और विश्व भाषा अकादमी का आभार प्रकट किया, जिनके सहयोग से यह कार्यक्रम पूर्ण सफल रहा। रमाकांत के धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी सम्पन्न हुई।

सरिता सुराणा
संस्थापिका
सूत्रधार साहित्यिक संस्था

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here