काव्यभाषा : अपनी धरा का करो सम्मान -डॉ. योगेन्द्र सिंह, इंदौर

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अपनी धरा का करो सम्मान

अपनी धरा का करो सम्मान।
इस धरा से हम सबकी पहचान,
जीवन मरण का है यह स्थान,
जीवन मरण का है यह स्थान।
बचपन बीता जवानी बीती
पूर्वजों ने यह मिट्टी खून से सींची।
तब जाकर मिला है यह अभिमान
अपनी धरा का करो सम्मान……
अपनी धरा का करो सम्मान

सत्य अहिंसा वेद संस्कृति अपनी धरा की है पहचान।
ना भूलो यह है हमारा गौरव स्थान।
अपनी धरा तक करो सम्मान…
अपनी धरा का करो सम्मान

वीरों ने जब खोई जवानी तब जाकर ये आजादी पाई है।
मत भूलो उनकी कुर्बानी, इसका रहे सदा तुम्हें ध्यान।
अपनी धरा का करो सम्मान…..
अपनी धरा का करो सम्मान

जीवन कम पड़ जाएगा, ऐसा देश तुम्हें ना मिल पाएगा
जिसकी संस्कृति है विशाल, जिसमें है सबका विश्वास।
अपनी धरा का करो सम्मान…..
अपनी धरा का करो सम्मान
मत तोड़ो मजहब और विश्वास सदा रहो भाई चारे के साथ
अपनी धरा तक करो सम्मान….
अपनी धरा का करो सम्मान।

डॉ. योगेन्द्र सिंह
इंदौर

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