
कुण्डलीया छंद
१
सुन्दर ऐसा चाहिए ;जो मन मंजुल होय
सुंदर सदैव, मन भला ;तन छवि देता खोय
तन छवि देता खोय; बूढ़ा तब तन ना भावै
फीकी आंखें होय; गात श्वेत ना लुभावै
अरूणिम अधर खोय :जर्जर हो काया मंदर
कह सुनी बना रहे; सु मन सदा ही सुंदर
२
संतोष उर धरे सदा:लोभ कभी ना आय
सुखी रहें जीवन सदा :चैन कभी ना जाय
चैन कभी ना जाय : आनन्द सदा मनावै
खुशी पाय हर हाल: नित नए मोद मनावै
सुख भले वो पाय :चाहे आवै दुख दोष
सुनी सभी सुख आय: जब आ जावै संतोष
सुनीता द्विवेदी
कानपुर उत्तरप्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।