
मेरे अंश
मेरे अंश, मेरे जिगर के टुकड़े
कोई नजारा तुम सा प्यारा नहीं
कोई ख्वाब, तुम सा सच्चा नहीं
कोई खुशी, तुम से ज्यादा नहीं
कोई दुआं, तुम सा हकीकत नहीं
कोई फिजा, तुम सा न्यारा नहीं
अथाह वेदना के बाद मिले
तुम राहते रूह हो मेरे
नजरों के सामने रहो न रहो
दिल के बहुत पास हो मेरे
निश्छल हो, तुम पावन हो
तुम ही पर्व, त्योहार हो मेरे
मुझे पूर्ण बनाने का श्रेय हो तुम
जननी का गौरव हो तुम
हे सूरज…..!!!
अपने किरणो का तेज , इन्हें दे दो
हे चाँद…!!!
तुम इनके जीवन में, शीतलता भर दो
हे गगन….!!!
तुम अपनी विशालता दे दो
हे चमन…!!!!
इनके जीवन में, तुम खुशबू भर दो
हे सागर…!!!
तुम इनके जीवन से, सारे दुख
दूर बहा ले जाओ
हे इश्वर….!!!
मेरे सारे शुकर्मो का फल
इन्हें दे दो
इनके दामन में खुशियां ही खुशियों भर दो
दुख की परछाई, भी न पड़े
इनका जीवन ऐसा कर दो….
बन्दना पांडेय
पटना

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।