
मित्रता पर दोहे
– डॉ.वर्षा सिंह
मुंहदेखी की मित्रता, मुंहदेखी का साथ।
दुख में ऐसे व्यक्ति ही सदा छुड़ायें हाथ।।
कृष्ण-सुदामा की तरह, मित्र न मिलते आज।
चार पलों के कर्ज़ पर, मांगे सौ दिन ब्याज।।
सदा करे जो मित्र के हित में दिल से बात।
मित्र सही “वर्षा” वही, करे न भीतर घात।।
ऊंच-नीच, औकात का नहीं करे जो भेद।
मित्र वही जो मित्र के लिए बहाए स्वेद ।।
निर्भय होकर कर सकें, जिससे मन की बात।
मित्र बने सम्बल सदा दिन हो या हो रात।।
अपने से ज़्यादा रहे जिसे मित्र का ध्यान।
“वर्षा” ऐसे मित्र का करें सदा सम्मान।।
सागर, मध्यप्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
हार्दिक आभार 🙏