
तुम
मेरे हर्फो में ,मेरे ज़ज्बों में ,गहरे रहते हो तुम
हर घडी ,लहू संग ,रग रग में बहते हो तुम
तुमसे शुरू ,तुमपे ख़तम ,दुनिया सिमटी है मेरी
चाहत पे फिर भी तोहमत की ,बातें कहते हो तुम
इंतज़ार में तेरे ,सदियों सी गुजरती हैं घड़ियाँ
मुझसे जुदा इतने सुकूं से ,कैसे रहते हो तुम
स्याह रातों में ,तेरी यादों की तपिश ,जलाती है मुझे
इस तड़प को ,बिन मिले कैसे ,सहते हो तुम
ऋचा गुप्ता नीर
आगरा

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
सुन्दर रचना,बधाई बेटा
वाह वाह
बहुत उमदा…
बहोत खूब … 👏👏👏 बेहतरीन अशआर … 👍
बेमिसाल लिखती है आप….💐💐