

बेटा
बेटा, दुनिया के चकाचौंध में,
तुम हमें न भूल जाना,
राह जोहती माँ तुम्हारी,
आकर गले लगाना|
टुकटुक करते रास्ता देखते,
हम वो हर परछाई,
जो रास्ते से गुजर कर जाते,
हम उन्हें निहारते |
देखो मेरा बहादुर बेटा,
माँ खड़ी है द्वार पर,
खुशियाँ समेटे आंचल पर,
राह जोहते खुशी तुम्हारी,
बेटा आकर हमें बताना |
उधर से एक चिट्ठी आई,
उसमें लिखा था, यही भाई |
माँ मैं आ रहा हूँ,
एक माँ का आंचल बचाके,
दोनों माँ का आंचल होगा, मेरे सर पर,
तब मैं बताउँगा माँ,तुम्हे गले लगाकर,
माँ मैं खुश हूँ अब,
अपनी धरती माँ को बचा कर ||
मीना राजवाड़े
सहायक शिक्षक
शास. प्राथ. विद्या. बरौधी
वि.खण्ड भैयाथान
जिला-सूरजपुर (छ. ग.)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
