
“ख्वाहिश”
(1)
मंज़िल चाहे कितनी भी दूर हो , राही पहुंचता जरूर है,
प्यार की डगर मुश्किल है,लेकिन प्यार मिलता जरूर है।।
बालों को ना बिखराओ सनम,कहीं बरसात ना हो जाए,
ए सनम मुस्कुराओ की हर तरफ फूल खिल जाए।।
(2)
नजरों से घायल करती हो अपने आशिक को सनम,
आशिक़ दिल भी बेचारा क्या करे तेरे प्यार में है हम।।
बोलती ऐसे हो जैसे मेरे कानों में शहद घुल रही हो,
मदहोश हुए जा रहे है बिना जाम पिए हुए हम।।
(3)
“ख्वाहिश” रह गई है अब तुम्हारे साथ ज़िन्दगी जीने की
ए खुदा सुन मेरी आरज़ू ,अब सनम तुझे पाने की।।
हर पल तेरी याद में ये दिल खोया रहता है सनम
जो वादा किया वो वादा जरूर निभाना तुम सनम।।
(4 )
बेकरारी का आलम इस कदर छाया है मुझ पर सनम,
हर चेहरे में तेरी ही सूरत मुझे नजर आया है सनम।।
भूल के भी भूल ना पाएंगे हम तुमको ,ये ज़िन्दगी तेरे नाम है,
इस दिल के हर कोने में अब सिर्फ तुम्हारा ही नाम हैं।।
ख़्वाब पूरे ना हो सके तो ना सही पर ख़्वाब देखना कैसे छोड़ दूं,
तू मेरी ना हो सकी तो ना सही तुझसे मोहब्बत करना कैसे छोड़ दूं।।
मौलिक रचना
रचनाकार,
अजय कुमार यादव
शिक्षक
शास.पूर्व माध्यमिक शाला जरही
प्रतापपुर,सूरजपुर,छ. ग
मो9977373081

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।