
वह साहित्यकार..।
कलम को एक तरफ रख उसने कागजो पर एक सरसरी नजर डाली।
कुछ देर उलट पलट करने के बाद वह मुस्कुराया और कुर्सी पर टेक लगा कर आँखें बंद कर ली।
“क्या हुआ?रूक क्यों गए!कहानी पूरी करो ना।”एक आवाज उसके कानों में पड़ी।
“कौन…?”आँखें खोल उसने कमरे में चारो तरफ देखा।
“मैं कौन यह छोडो।तुम तो लिखो इस घटना को पूरी तरह कि कैसे नायिका का बलात्कार…..बेचारी नायिका।”
“कौन हो तुम और तुम्हें कैसे मालूम मैं क्या लिख रहा हूँ?”वह कठोरता से बोला।
“मैं वही जो तुम्हारी बेहद अजीज है।”एक खनकदार आवाज फिर आई।
“सामने आओ और परिचय दो।कौन है मेरा अजीज?”वह बोला।
“पीछे देखो।”वह स्वर फिर सुनाई दिया।
उसनें चौककर पीछे देखा तो एक खूबसूरत युवती पलंग पर मोहक मुस्कान लिए बैठी थी।
“कौन हो तुम!और अंदर कैसे आई?”वह आश्चर्य से दरवाजे पर लगी कुंडी को देखकर बोला जो कि बंद थी।
“मैं तो तुम्हारी ही कल्पना हूँ और तुम्हारे साथ ही रहती हूं लेकिन आश्चर्य पहचान नहीं पाए…हा…हा…खैर छोडो… मैं तुम्हारी कहानियों की नायिका हूँ।”
“कभी रोजी कभी सुषमा और कभी शाइला हुँ।”
“मेरा लिखा किरदार इतना खूबसूरत!”युवती के सौंदर्य को देखकर उसकी आँखों के भाव कुछ बदल गए।
“हाँ.. मेरे सौंदर्य को अनेक उपमाओं से सुसज्जित तो तुम ही करते हो।”वह बोली।
“इतनी गहराई से वर्णन कि पाठकों के मन में मुझे पाने की इच्छा उत्पन्न होने लगती है।”वह व्यंग्य से बोली।
“हाँ ..यही तो मेरे लेखन का कमाल है।”वह गर्व से बोला।
“इस लेखन के कमाल ने अनेक वासनाओं को जन्म दिया, है ना!”वह गंभीर हो बोली।
“क्या मतलब!सौंदर्य का वर्णन वासना को जन्म कैसे दे सकता है?”वह गुस्से से बोला।
“वैसे ही जैसे मुझे देखकर तुम्हारी आँखों में…..।”उसके कानों के पास आकर वह फुसफुसाई।
“यह मिथ्या आरोप है।”वह चिल्लाया
यह आवाज कमरें में गूंज उठी।उसनें अचकचा कर आँखें खोली।कमरे में अंधेरे के सिवा कोई न था।
माथे पर आए पसीने को पोछ वह दोबारा उन कागजों को पलटने लगा।जाने क्या देख उसकी आँखों में शर्मिंदगी दिखने लगी और उसने कागज फाड दिए।
दिव्या राकेश शर्मा
गुरुग्राम,हरियाणा

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
दिल को छु गई।आपकी लेखनी को सलाम।
मेरे शब्द आपके हृदय को स्पर्श कर पाए यह जानकर अच्छा लगा।आभार आपका।