
वीर सपूतों को नमन
जिन वीरों के लहू ने सींचा,
स्वतन्त्रता का दिव्य सुमन।
वीर भूमि भारत के सपूतों,
हाथ जोड़ कर तुम्हें नमन।
घर छोड़ा , घरवाले छोड़े,
पग – पग पर संघर्ष किए।
स्वतन्त्रता की बलि वेदी पे,
हँस के प्राण उत्सर्ग किए।
मिला कष्ट एकांत अंत में,
मगर मिल नहीं सके स्वजन।
वीर भूमि भारत के सपूतों,
हाथ जोड़ कर तुम्हें नमन।
अंग्रेजों ने नग्न बदन पे,
सौ – सौ कोड़े बरसाए।
जी चाहा वो दी प्रताड़ना,
दंड – प्रहार दे हरषाए ।
काले पानी की भी सजा,
न झुका सकी सिंह की गर्दन।
वीर भूमि भारत के सपूतों,
हाथ जोड़ कर तुम्हें नमन।।
पंद्रह अगस्त का पावन दिन,
वीरों की गाथा गाता है ।
अमरलोक के वासी जिन्हें,
धरती पे पूजा जाता है ।
स्वतन्त्रता की भेंट दी हमको,
देकर अपना तन- मन- धन।
वीर भूमि भारत के सपूतों,
हाथ जोड़ कर तुम्हें नमन।।
-दीप्ति सक्सेना
(सहायक अध्यापक)
विद्यालय-पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटसारी
वि0क्षे0-आलमपुर जाफराबाद
जनपद-बरेली
निवासी-बदायूँ।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
रचना प्रकाशित करने हेतु संपादक महोदय का हार्दिक आभार
Very good poem.
Thank u so much Gaurav ji
भारत के वीर योद्धाओ की वीरता सुनंदर वर्णुन।
बहुत बहुत धन्यवाद सोनी जी
Mind blowing lyns suprbb
बहुत बहुत शुक्रिया कृति जी