
नागरिक पत्रकारिता –
नई शिक्षा नई समस्या
हाल में ही केन्द्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दिया है शिक्षा नीति में बदलाव किया जाना आवश्यक है परन्तु शिक्षा को केवल व केवल किसी विशेष सिद्धान्तों के अधीन नहीं किया जा सकता। वर्तमान शिक्षा नीति जो बनाई गई है वो केवल पूंजीवाद सिद्धान्त पर अधारित शिक्षा के मकसद से बनाई गई है।
शिक्षा को पूर्ण रूप से औधोगिकरण करना भविष्य की विकटतम समस्याओं को दर्शाता है आने वाले भविष्य में इस नई शिक्षा नीति का प्रभाव पुर्णतः पड़ेगा । इस नई शिक्षा नीति से नैतिकता का ह्रास होगा जिस से आनेवाले भविष्य में भ्रष्टाचार, शोषण, गृह कलह, जैसे समस्याओं से हमें गुजरना पड़ेगा ।
नई शिक्षा नीति जिस पुंजीवादी सिद्धान्त से प्रभावित है वो पुंजीवादी सिद्धान्त भी आज असफल रहा है । पुंजीवादी सिद्धान्त ने दुनिया से गरीबी, भुखमरी, पर्यावरण एवं जलवायु जैसे वैश्विक समस्याओं को दुनिया से खत्म करने में नाकाम रहा है। वर्तमान में तो कोरोना ने पुंजीवादी अर्थव्यवस्था की पोल खोल कर रख दिया है ।
इस लिए हमारी शिक्षा में समग्रता की विशेष जरूरत है
यदि हमें सतत् विकास करना है तो हमें शिक्षा को पूर्ण रुप से औद्योगिकरण से बचाना होगा ।
हमारे शिक्षा नीति में नैतिक और चारित्रिक मुल्यों को एक विशेष स्थान देना होगा। वर्तमान और भविष्य के समस्याओं एंव आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक नई शिक्षा नीति की जरूरत है ,जो हमें आज के इस वैश्विक विकास के दौड़ में सदैव अग्रसर बनावें।
– विवेक हर्ष
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जिला. गोरखपुर
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(यह लेखक के अपने विचार हैं, सम्पादक का सहमति अनिवार्य नही)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।