काव्यभाषा : नया हिन्दुस्तान -माही सिंह राजपुरा

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नया हिन्दुस्तान

पापा अब घर पर ही रहते हैं
भैया भी आ गए विलायत से,
साथ बैठकर खाना खाते
मिट गई सारी शिकायत है!

स्कूल नहीं,अब दादा जी की क्लास है
सखी-सहेली दूर सही,पर अपनों का अब साथ है,
नुक्कड़ की ठिठोली न सही
घर पर आँख-मिचोली का उल्लास है!

गंदे नदी-नाले नहीं
अब साफ़-सुथरा किनारा है,
दिल्ली-मुंबई की सड़कों का
क्या खूब ये नजारा है!

नए फूल का बाग बना दिया
इस सूखे रेगिस्तान को,
सच!कोरोना, एक नया हिन्दुस्तान
दे दिया हिन्दुस्तान को!!

माही सिंह
राजपुरा

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