काव्यभाषा : नारी जग की तारिणी -शंकर सिंह सिदार चिपरीकोना, भंवरपुर

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नारी जग की तारिणी

नारी जग की तारिणी, धरती रुप अनेक ।
सँवारती है गेह को ,अपनी बुद्धि विवेक ।।
( १ )
तू अबला तू शक्ति है,तू ही लक्ष्मी जान ।
जो तेरा आदर करे,मिले सदा ही मान ।।
( २ )
कौशल्या अरु कैकई , सबको मान समान ।
पुत्र सदा ही पूजते , ममता बड़ी महान ।।
( ३ )
आओ हम सब मिल करें , जननी का सम्मान ।
नेह और ममता सदा ,देती हमको दान ।।
( ४ )

शंकर सिंह सिदार
चिपरीकोना, भंवरपुर
महासमुन्द ( छ ग )

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