

युवा प्रवर्तक के लेखक मानस मर्मज्ञ जगदीश सुहाने जी नही रहे
दतिया। कल का दिन दतिया के साहित्य जगत व जनमानस के लिये अत्यन्त दुखद दिन था । जब श्री जगदीश सुहाने शास्त्री के देहावसान का समाचार मिला। श्री सुहाने जी इलाज के लिये ग्वालियर में भर्ती थे। मंगलवार ४अगस्त को उन्होने अन्तिम श्वास ली।
वे गीता,मानस,धर्म अध्यात्म के तो अधिकृत विद्वान थे ही इसके अतिरिक्त प्रसाद,गुप्तजी,दिनकर और प्रेमचन्द के साहित्य पर उनकी अच्छी पकड थी । उर्दू के शेर,शायरी के भी वे अच्छे जानकार थे तथा युवा प्रवर्तक में अक्सर अपने विचारों की अभिव्यक्ति विविध स्वरूपों के आलेखों के माध्यम से किया करते थे।
दतिया का कोई भी साहित्यिक गोष्ठी या आयोजन हो उनकी उपस्थति आवश्यक अंग थी। समसामायिक विषयों पर भी उनकी वेवाक राय का सभी सम्मान करते थे। उनके जाने से दतिया साहित्य जगत स्तब्ध है ।
न केवल दतिया के गहोई समाज में वरन् दतिया के जनमानस में भी लोकप्रिय थे ।
मेरे लिये तो वे बडे भाई एवं मित्र और मार्गदर्शक भी थे। वे हम सब के मन मस्तिषक में सदैव रहेगे।
युवा प्रवर्तक उन्हें सादर नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
– आनन्द मोहन सक्सेना,दतिया

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
