

प्यार बांटिए प्यार मिलेगा
मन में सदा अच्छे विचारों को स्थान दीजिए। दूसरे के लिए अच्छा सोचने वाले का अपना भी सब कुछ अच्छा होता ।यदि किसी के मन में दुर्भावनाएँ स्थायी रूप से अपना घर बना लेती हैं तो उस व्यक्ति के तन-मन को खोखला करके रख देती हैं।
कहा भी गया है कोई किसी के लिए गड्डा खोदता है,उसके लिए खाई तैयार हो जाती है।इसलिए मन में हमें शुभ विचारों को प्रश्रय देना चाहिए। आप किसी की भलाई करते हैं तो मन में संतुष्टि का भाव उठता है और शुभकामनाओं के निकले शब्दों से हृदय शीतल हो जाता है।आत्मिक शांति मिलती है।
सत्य की अपनी प्रतिष्ठा है।सत्य बोलने वाले सबके प्रिय पात्र होते हैं।यह भी देखा गया है कि कुछ लोग अक्सर झूठ की खेती करते हैं मगर दूसरे से उनकी अपेक्षा रहती है कि वह सत्य को साथ लेकर उनके सामने आए।ऐसा इसलिए कि झूठे व्यक्ति को भी सत्य ही प्रिय होता है।झूठ का सहारा लेने वाले को भी आप सच का कद्र करते देख सकते हैं।अक्सर हमें किसी एक झूठ को छिपाने के लिए हजार झूठों का सहारा लेना पड़ता है।तब फिर आप-हम सत्य बोलकर निश्चिंत क्यों न रहें?हाँ,जब किसी के प्राण बचाने हों या जहाँ किसी की भावना या प्रतिष्ठा आहट हो रही हो या प्रेम-सौहार्द्र को बनाए रखना हो,वहाँ झूठ बोलना चलता है।लेकिन बात-बात में झूठ का सहारा लेने वाले व्यक्ति को कोई भी नहीं पसंद करता है।लोग उनकी बातों पर विश्वास नहीं करते और समाज की नज़रों में ऐसे लोग इज्ज़त भी नहीं पाते हैं।
शब्द को ब्रह्म कहा गया है। इसके दुरुपयोग से हमें बचना चाहिए।कहा भी गया है कि धनुष से छूटे बाण और मुख से निकले शब्द कभी वापस नहीं आते हैं।वाणी-संयम का अपना महत्व है।हमें व्यवहार में सोच -समझ कर शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।शरीर के घाव भर जाते हैं परंतु वाणी से आहट हृदय सदा दग्ध रहता है।अक्सर देखा जाता है कि किसी भी दो व्यक्तियों के बीच का मनमुटाव की शुरुआत ‘बात’ से ही होती है।इसलिए हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि किसी के दिल को अपनी बातों से न दुखाएँ। यदि किसी के हृदय को आपकी बातों से दुःख पहुँचा हो और संयोग से पता चल जाए तो क्षमा माँगने में जरा भी देर मत कीजिए।
ज़िंदगी दो दिनों का मेला है।दुनिया से कूच करने के बाद सब कुछ यहीं रह जाता है। आप अपना व्यवहार अच्छा रखिए।अच्छा बनकर किसी से भी मिलिए,सब कुछ अच्छा ही होगा।यदि आप प्यार बाटिएगा तो निश्चय ही बदले में आपको प्यार ही मिलेगा।
मौलिक/अप्रकाशित
नवीन कुमार ‘नवेंदु’
स.शि.
राजकीयकृत मध्य विद्यालय
बानो,सिमडेगा(झारखंड)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

प्रेरक प्रसंग, आकर्षक रुचिपूर्ण अभिव्यक्ति।नवीन कुमार नवेन्दु जी सरल सहज रूचिकर वार्ता शैली में रचना करने वाले विद्वान लेखक हैं। इनकी रचनाएं लगातार साहित्यिक सम्पदा की वृद्धि कर रही हैं। शुभकामनाएं समर्पित।