

मित्र- कुमित्
मुँह पर मीठा बोलते, पृष्ठ भाग नासूर,
ऐसे मित्र कुमित्र से, रहिए कोशों दूर।
आत्म मुग्ध जो व्यक्ति है,उनसे रहो सतर्क,
नाव डूबाए बीच में, करता बेड़ा गर्क।
पूरा घट है विषभरा, ऊपर थोड़ा दुग्ध,
घातक अरि यह सर्वदा, मत होना तुम मुग्ध।
जो भी सच्चे मित्र हैं, रखते हरदम ध्यान,
सुख दुख में सहभागिता तनिक नहीं अभिमान।
जो थोड़ा उपकार कर, जतलाए अहसान,
साहिल ऐसे लोग तो, रिश्तों का अपमान।
‘साहिल’
प्रो. आर एन सिंह,
मनोविज्ञान विभाग, बी एच यू. वाराणसी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

Nice description of friends’ feature
Nice poetry, applicable to day to day life in this present scenario.
Best wishes.