
गीत
अपनी बात अलग है थोड़ी
वैसे तो सबके जैसा हूँ
सबके जैसा ही अपना मन
क्या जानूँ सबने क्या चाहा!
मैने बस चाहा अपनापन
प्यार किया जीभर प्रकृति से
सच्ची प्रीति उसी से जोड़ी ।
यथासाध्य इस दुनिया से भी
रहा निभाता दुनियादारी
नहीं दुश्मनी रही किसी से
नहीं रही मतलब की यारी
न ही तोड़ा मान किसी का
न अपनी मर्यादा तोड़ी।
स्वारथ की चौड़ी सड़कों में
कोई पीछे कोई आगे
साम दाम का ले अवलंबन
सब ही जान लगा कर भागे
लेकिन मैं रह गया फिसड्डी
बदल न पाया चाल निगोड़ी।
राजेन्द्र श्रीवास्तव
विदिशा

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।