काव्यभाषा : इक मशाल था जिसका लेखन – डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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कथासम्राट प्रेमचंद को उनके जन्मदिवस(31 जुलाई) पर समर्पित एक ग़ज़ल…

    इक मशाल था जिसका लेखन
    – डॉ (सुश्री) शरद सिंह

गोबर, घीसू, माधव, हामिद, होरी एवं धनिया।
प्रेमचंद के जरिए इनसे मिल पाई है दुनिया।

प्रेमचंद ने कथाजगत को वह तबका दिखलाया
जिसका शोषण करते आए सदियों ठाकुर, बनिया

रात पूस की ठंडी हो कर कैसे जलती आई
कैसे बिना दवा दम तोड़े इक ग़रीब की मुनिया

प्रेमचंद ने ‘कफ़न’ कहानी में यथार्थ लिख डाला
दारूखोरों के घर तड़पे एक अभागी तिरिया

इक मशाल था जिसका लेखन उसको “शरद” नमन है
प्रेमचंद थे भावनाओं के इक सच्चे कांवरिया

सागर, मध्यप्रदेश

7 COMMENTS

  1. कथासम्राट प्रेमचंद पर केंद्रित मेरी ग़ज़ल को युवा प्रवर्तक में प्रकाशित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ?

  2. युवा प्रवर्तक के सभी सदस्यों, पाठकों एवं विद्वतजन को कथा सम्राट प्रेमचंद के जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं ?

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