

कथासम्राट प्रेमचंद को उनके जन्मदिवस(31 जुलाई) पर समर्पित एक ग़ज़ल…
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इक मशाल था जिसका लेखन
– डॉ (सुश्री) शरद सिंह
गोबर, घीसू, माधव, हामिद, होरी एवं धनिया।
प्रेमचंद के जरिए इनसे मिल पाई है दुनिया।
प्रेमचंद ने कथाजगत को वह तबका दिखलाया
जिसका शोषण करते आए सदियों ठाकुर, बनिया
रात पूस की ठंडी हो कर कैसे जलती आई
कैसे बिना दवा दम तोड़े इक ग़रीब की मुनिया
प्रेमचंद ने ‘कफ़न’ कहानी में यथार्थ लिख डाला
दारूखोरों के घर तड़पे एक अभागी तिरिया
इक मशाल था जिसका लेखन उसको “शरद” नमन है
प्रेमचंद थे भावनाओं के इक सच्चे कांवरिया
सागर, मध्यप्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

कथासम्राट प्रेमचंद के साहित्यिक व्यक्तित्व पर बेहतरीन ग़ज़ल ???
हार्दिक धन्यवाद डॉ वर्षा दी ?
बस, यह मेरा विनम्र नमन है कथा सम्राट प्रेमचंद जी के कृतित्व को ???
प्रेमचंद का कथा पात्रों को इस ग़ज़ल के माध्यम से याद दिलाने के लिए शुक्रिया ?
कथासम्राट प्रेमचंद पर केंद्रित मेरी ग़ज़ल को युवा प्रवर्तक में प्रकाशित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ?
युवा प्रवर्तक के सभी सदस्यों, पाठकों एवं विद्वतजन को कथा सम्राट प्रेमचंद के जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं ?
युवाप्रवर्तक की साहित्य के प्रति प्रतिबद्धता सराहनीय है।
युवाप्रवर्तक को मेरी शुभकामनाएं ?????