काव्यभाषा : गौरैया -शंकर सिंह “भोले” चिपरीकोना भंवरपुर

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गौरैया

1) प्यारी गौरैया सखी,फुदक रही घर आज ।
मुझको बहुत पसंद है, नन्ही जान सरताज ।।

2) मेरे आँगन द्वार पर,वह रहती मुस्काय ।
मानव को जब देखती,हल्की सी डर जाय ।।

3) गौरैया जब चहकती,मन गदगद हो जाय ।
फुदक फुदक कर खेलती,और अमृत छलकाय।।

शंकर सिंह “भोले”
चिपरीकोना भंवरपुर
महासमुन्द ( छ. ग.)

1 COMMENT

  1. बहुत सुंदर शंकर सिंह जी। गौरैया लुप्त हो रही है। उसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।

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