

गौरैया
1) प्यारी गौरैया सखी,फुदक रही घर आज ।
मुझको बहुत पसंद है, नन्ही जान सरताज ।।
2) मेरे आँगन द्वार पर,वह रहती मुस्काय ।
मानव को जब देखती,हल्की सी डर जाय ।।
3) गौरैया जब चहकती,मन गदगद हो जाय ।
फुदक फुदक कर खेलती,और अमृत छलकाय।।
शंकर सिंह “भोले”
चिपरीकोना भंवरपुर
महासमुन्द ( छ. ग.)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

बहुत सुंदर शंकर सिंह जी। गौरैया लुप्त हो रही है। उसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।