मैं बड़ी हो गई!
उस रात चौखट पर ताला,
और पाँव में बेडियाँ पड़ गईं;
चेहरे की मासूमियत,
और वो मासूम मुस्कान झड़ गई;
खेल-खिलौने,गुब्बारे,
आँख-मिचोली ने साथ छोड़ दिया;
हाथों में बेलन-चौकी,
चूल्हे से नाता जोड़ लिया;
यूँ तो बारिश की बूँदों में भीगा करती,
अब कुँए से पानी भर रही हूँ;
यूँ तो घंटो गुड़िया से बातें करती,
अब खुद कठपुतली बन गई हूँ;
सोच रही थी,ये कौन सा मोड़ है जिंदगी का!!
खेल-कूद में बचपन बीता,
आज लाल साड़ी में खड़ी हो गई;
सुबह नींद खुली तो जाना,
मैं बड़ी हो गई,,,,मैं बड़ी हो गई!!
माही सिंह
राजपुरा

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।