नज्म
तेरी हँसी में मैं अपने गम की दवा ढूंढ रहा हूँ।
तेरे साथ बिताए वो दो पल याद कर रहा हूँ।
उसी पल के सहारे मेरी जिंदगी गुजर रही है।
फिर से तुमसे मिलने की तमन्ना पनपा रहा हूँ।
वो दिन फिर कभी आयेगा या नहीं आयेगा।
उसी सोंच में अपनी जिंदगी गुजार रहा हूँ।
तेरे जैसा दिलकश चेहरा अभी तक देखा नहीं।
उसी की खुमार में अपना समय बिता रहा हूँ।
तुम मानो या न मानो जन्नत की हुर लगती हो।
मैं तेरे हीं कशिश के आतिश में जल रहा हूँ।
डॉ.अखिलेश्वर तिवारी
पटना
दिलकश-मन को खींचनेवाला,खुमार-नशा,
कशिश-आकर्षण, आतिश-आग।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।