काव्य भाषा : शेर -फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर

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आज माँ के चेहरे पर एक सुकून देखा,
अदा नमाज़ और क़ुबूल दुआ हो गई ! -1

तेरे पड़ोस में कल, भूखा था कोई सोया,
क्या जाना तूने पढ़के अख़बार तू बता ! -2

झपक दे वो पलकें तो वक़्त रुक जाये,
सारा आलम सिमट आये मेरी पनाहों में ! -3

ऐ यार, ज़रा अहिस्ता ले चल मेरी मय्यत,
मेरे क़ातिल की ग़म-गुसारी तो अभी बाक़ी है ! -4

दरिया जो इश्क़ का है, डूबे ही तो मज़ा है,
जा कर के क्या मिलेगा उस पार तू बता ! -5

ऐ यार, ज़रा अहिस्ता ले चल मेरी मय्यत,
मेरे क़ातिल की ग़म-गुसारी तो अभी बाक़ी है ! -6

तू नुमाईश न कर अपने दिल के टुकड़ों की,
टूटी-फूटी चीज़ों के तो दाम बदल जाते हैं ! -7

जगा करते थे रातों को, गिना करते थे हम तारे,
तेरे ही इश्क़ ने हमको अजब कसरत में डाला था ! -8

ज़िन्दगी सो कर गुज़ार दें, जो तेरा ख़्वाब मिले,
ख़्वाबों ही में मुकम्मल कुछ ख़्वाब हुआ करते हैं ! -9

मतलबी रिश्तेदारों से तो वो अजनबी बेहतर,
मोहब्बत जहाँ से मिल जाये अपने घर जैसी ! -10

©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़
नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार

स0स0-9231/2017

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