काव्य भाषा : अभिलाषाएं -डॉ संगीता तोमर, इंदौर

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अभिलाषाएं

मृगतृष्णा सी अभिलाषाएं
कितनी है भोली ये आशाएं
करती मन में स्वतंत्र विचरण
यथार्थ को ना जाने वो
बंधन ना कोई माने वो
बस दूर कहीं ले जाती है
जहां सब संगी साथी है
सुख की आस दिलाती है
जीवन रस से है परिपूर्ण
भर देती जीवन में असीम उत्साह
हार को जीत में देती है बदल
हर स्वप्न सच करने का वचन देती है आशाएं
हर चट्टान तोड़ने का बल देती
हर समुद्र लांघने का हल देती
बादलों के बीच एक सुनहरी किरण
जैसे आकाश को इंद्रधनुषी रंग देती

डॉ संगीता तोमर
मौलिक व स्वराचित
इंदौर (मध्यप्रदेश)

3 COMMENTS

  1. बहुत सुंदर कविता डॉक्टर संगीता तोमर जी बधाई।

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