—–उपालंभ—–
तू मशरूफ है तो रह तेरी दुनिया में
हम न तब थे , न हैं अब तेरी दुनिया में
मुझे खलती है कमी तेरी, तुझे मगर नहीं
जो चाहिये तुझे , है सब तेरी दुनिया में
न मेरे तो किसी के भी साथ सही
तुझे सलामत रखे रब तेरी दुनिया में
मैं इक आईना था जो ठोकरों से टूट गया
तुझे कोई ठोकर न लगे अब तेरी दुनिया में
हमें तो आता है दरिया ए अश्क में तैरना
रोने का ना हो कोई सबब तेरी दुनिया में
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पंकज मिश्रा “निश्छल”
रीवा, मध्यप्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।