

रिश्ते की इस डोर को
रिश्ते की इस डोर को कभी न देना तोड़
दुश्वारी में भी कभी मुँह मत लेना मोड़
रिश्ता नाता ज़िंदगी में ख़ुशियों की खान
मन पुलकित रहता सदा बढ़ता है सम्मान
दोस्त बिना है ज़िंदगी ज्यों पानी बिन मीन
मित्रों से मिलता हमें साहस शक्ति नवीन
रिश्ता रखो सम्भाल के गाँठ न पड़ने पाय
रहे समर्पण सर्वदा नज़र नहीं लग जाय
तुम सा पाकर मित्र मन मेरा हुआ निहाल
तुम बिन इस नाचीज़ का मत पूछो क्या हाल
आत्मीय सम्बंध बिन जीवन कटी पतंग
टूटी अपनी डोर तो बचता नही प्रसंग
रिश्ता दिल का मेल है ना कोई अनुबंध
हर धन से है क़ीमती प्यार भरा सम्बंध
रुकता तो जीवन नहीं कभी किसी के हेतु
पर मिलने के वास्ते प्रेम बना लो सेतु
रिश्ता जीवन ज्योति है और ख़ुशी का सार
मुश्किल में साहिल सरिस करता नैया पार
‘साहिल’
–प्रोफेसर आर एन सिंह,
वाराणसी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

Nice thoughts
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सिंह साहब। बहुत बहुत बधाई।