
ग़ज़ल
वो देके गाली बुला रहा था
तमीज़ ऐसे सिखा रहा था
कही है मैंने बता रहा था
ग़ज़ल किसी की सुना रहा था
उजाड़ कर मुफलिसों की बस्ती
शोरूम अपना बना रहा था
लगाने वाला सभी पे तोहमत
शरीफ़ है खुद जता रहा था
सुना के झूठी वो फिर कहानी
अवाम को बरगला रहा था
जवाब देना पड़े न उसको
सवाल से डरके जा रहा था
रखी किसी ने जो श्लेष माँगे
तो झुनझुना वो थमा रहा था
श्लेष चन्द्राकर,
पता:- खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं.- 27,
महासमुन्द (छत्तीसगढ़) पिन – 493445,
मो.नं. 9926744445

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार संपादक महोदय जी
बहुत अच्छे। वाह वाह श्लेष जी। लाजबाब।