आ रही है
फ़िज़ाओं से तेरी खुशबू आज आ रही है।
लगता है जैसे तुम मेरे पास आ रही है।
पता था तोड़ दोगी कफ़स को एक दिन।
ओ देखो मेरे दोस्तों मेरी जान आ रही है।
तुझे देखकर कायनात भी खिलखिला रही है।
तुझे अपनी गुलिस्ताँ का गुल बता रही है।
बहुत नाज है उसको तेरे जीनत पर।
धिरे धीरे ओ अपने आप पर इतरा रही है।
भौरों के साथ मिलकर वो गुनगुना रही है।
उसका कहना है की कोहिनूर आ रही है।
फलक पर बिजलियाँ तुझसे शरमा जारहीं है।
नवजवानों के मुख से केवल आह आ रही है।
डॉ.अखिलेश्वर तिवारी
पटना

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।