
किन शब्दों में करे आदमी
किन शब्दों में करे आदमी
धरती माता का सत्कार ।
शब्द बहुत थोड़े हैं उनकी
महिमा तो है अगम अपार ।
सर्वसहा,ममता की मूरत
हृदय चीर देती आहार ।
कंद मूल प्रचुर वनस्पतियां
पीने को जल का भंडार।
हे धरती मां,नमन हमारा,
शत शत बार करो स्वीकार।
सुबह तुम्हें जब शीश नवाकर
करते हम दिल से मनुहार।
ऐसा लगता है तत्क्षण ही,
पा जाते आशीष हजार ।
रंग बिरंगे पुष्पों का तुम
हमें सदा देती उपहार।
बदले में कब हमसे कुछभी
लेती हो इसका प्रतिकार ?
हम कृतघ्न तुम्हें कितने ही
कष्ट दिया करते हर बार।
काट छांट औ तोड़ फोड़ कर,
पीड़ा देते अगम अपार।
क्षमा !क्षमा!हे मातृ स्वरुपा!
हाथ जोड़ कहता संसार ।
हे दयामयी!हे सर्वसहा!
इतना ही बस करो उपकार।।
त्राहि माम् !हे धरती माता
हे कल्याणी!तारणहार!
हमें उबारो इस संकट से
क्षमा दान दो फिर एक बार !!
शशि बाला
हजारीबाग

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
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