लघुकथा : अपना घर – भावना भट्ट भावनगर, गुजरात

लघुकथा : अपना घर

“सुनो..संकेत, आज घर में न चीनी है न चाय.. थोड़ा सा दूध बचा है। बिट्टू के लिए रख दूं ?
” हाँ सुरजा, ऐसा ही करो। ”
काल बनकर आया ‘कोरोना’ संकेत की नौकरी के साथ घर की रौनक भी छीन गया था। खाली घर,संकेत और सुरजा की शुष्क आँखें और बरतनों से झाँकती बेबसी..!
“तीन महीने से किराया भी नहीं चुकाया और सुना है की सरकार ने किरायेदार को घर खाली करवाने पर लगाया अस्थायी प्रतिबंध भी अब हटा लिया है अब क्या होगा संकेत ?”
“कुछ महीने कट जाए बस..! मैं भी नई नौकरी की तलाश में हूँ और तुम भी कोई छोटा मोटा काम ..!
हाँ मगर बिट्टू ? दो सालके बच्चे को कहाँ छोडूँ?तुम अगर बुरा न मानो तो घर पर बात करूँ?
“नहीं..” संकेत के मन में टीस उठ गई। वो घर तो हमने तीन साल पहले कभी भी वापस न आने के कठोर निर्णय के साथ छोड दिया था। देखा था न उस दिन बाबूजी का गुस्सा?उनकी मर्जी के बगैर शादी क्या की ?
खैर छोड़ो..मैं बाहर जाता हूँ। कहीं से सरकारी मदद या राशन मिल जाएं।”
संकेत के जाने के बाद सुरजा के सामने संकेत के माँ-बाबूजी की छवी तैरने लगी।
‘कितनी आशा थी मुझे भी की, मैं एक अनाथ बच्ची पूरे संसार का सुख पा लुंगी। अपनी खोई हुई खुशियां उसी घर में माँ-बापू की स्नेहिल छाँव में ढूंढ लुंगी। मगर वही नींव ढह गई जिस पर मैंने अपनी कल्पना की इमारत रची थी। मैं बिन माँ-बाप की बच्ची थी न..! मेरा न कोई कुल न कोई जात ?
आज तीन साल हो गए हमें परदेस आये न कोई खत-खबर यहाँ से, न वहाँ से..!’
संकेत के ही दोस्त से नंबर मांगकर आज सुरजा ने अपनी दुर्दशा की कथनी संकेत के माँ-बाबूजी को बताना ही सही समझा।
शाम को संकेत के अकाउंट में किराए के रुपये ट्रांसफर हो गए थे और इंडिया के टिकिट भी।
एक ही सप्ताह में इंडिया में पैर रखने पर झिझक रहे संकेत के कानों में बाबूजी की प्यारभरी आवाज पड़ी।
“संकेत बेटा, यह इंडिया तो तुम्हारा अपना घर है। वो किराए का मकान भूलकर यहाँ अपने घर में रहो। तुम दोनों अब हमारा व्यापार संभालो और हम दोनों बस बिट्टू को संभालेंगे। सच कहूँ तो तुम बिन अच्छा नहीं लगता था यार..! “पीठ में महसूस हुए अपनेपन के एहसास के साथ पिताजी का ठहाका दोनों के आँसुओं में भीगकर माँ के आंचल तक बह गया और सुरजा की गोद में नन्हा सा फूल खिलखिलाने लगा।

भावना भट्ट
भावनगर, गुजरात

1 COMMENT

  1. धन्यवाद आद. देवेंद्र भाई
    युवा प्रवर्तक की आभारी हूँ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here