

वीरान शहर
तुम्हारे जाने के बाद
शहर कुछ वीरान हो जाता है
किसी पुराने से घाट पर अकेले लौट आने पर
चहचहाना थम जाता है
उन पंछियों का
मानो उन्हें भी एहसास हो गया हो
तुम्हारे दूर हो जाने का
लहरें वापस लौट गई होती है
सिर्फ निशान छोड़ कर
उन ऊंचे पत्थरों पर
ताकि फिर कुछ नया लिख सको उनपर तुम
चमकता हुआ आसमान काला पड़ जाता है
और फिर ज़ोर से बरसने लगता है
ताकि तुम्हारे साथ होने का एहसास बना रहे
कुछ देर और
तुम्हारी मुस्कुराती हुई आवाज़
अचानक ही सुन लेता हूँ इस शोर में
क्योंकि दूर होने के बाद भी
एहसास तुम मेरे साथ ही छोड़ दिया करती हो
– शिरीष पाठक
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देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
