काव्य भाषा : चीन का प्रकोप – डॉ नीरा प्रसाद ,धनबाद

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चीन की सच्चाई,सबके सामने आईं हैं
सारी दुनिया में जो, बिमारी फैलाई है।

संकट मे देश सारा,तु गद्दारी दिखाई है
भारत चीन सरहद पे,की शुरु लड़ाई है।

पड़ोसी देश समझ,भारत ने समझाई है
छूप के वार किया,तू आदत ना छोड़ी है।

तब हमारी सेना ने, तुझे मार गिराई है
घुसने न दे तुझे,कसम सेना ने खाई है।

एक इंच भुमि न दुंगा,कदम तू बढ़ाई है
सलाम है सेना को जिसने देश बचाई हैं।

भारत सेना सबसे उत्तम यही सच्चाई है
नमन उन वीरों को,जो सरहद पे छाई है।

याद करें वीरोंको जिसने जान गंवाई है
श्रद्धांजलि शहीदों को जो दी कुर्बानी है।

चीनी वस्तु विरोध में, आवाज उठानी है
स्वदेशी को अपनाना,यह सबने ठानी है

डॉ नीरा प्रसाद
धनबाद

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6 COMMENTS

  1. आपके द्वारा लिखित काव्य में चीन द्वारा पूरे विश्व में फैलाया गया महामारी तथा भारतीय सेना का पराक्रम एवं स्वदेशी जागरण का जो आपने उल्लेख किया है वह काफी-काफी सराहनीय है।

  2. शब्दों की कड़ियां जोड़कर आप ने तो कमाल कर दिया।पढ़ने में जितना आसान लगता है उतना लिखना नहीं।काबिले तारीफ

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