काव्य भाषा : नज्म – डॉ अखिलेश्वर तिवारी,पटना

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नज्म

अँधियारी रातों में डर लगता है खुदा खैर करे।
आस पास सब अपने हैं खुदा खैर करें।

जलजला से तो हम निपट लेंगे कैसे भी।
अपनों से कैसे निपटें खुदा खैर करें।

दुश्मन से बचने के लिए उपाय है मेरे पास।
दोस्तों से न उलझना पड़े खुदा खैर करें।

अभी तक दुनियादारी नहीं सीख पाया हूँ मैं।
मुझे दुनियादारी सिखाकर खुदा खैर करें।

असबाबों को न तो मैंने देखा है न सुना है।
मेरे एहसास को बचाकर खुदा खैर करें।

इस नफरत की दुनियाँ में अकेला सिर्फ मैं ही हूँ।
प्यार से मेरी झोली भरकर खुदा खैर करें।

डॉ.अखिलेश्वर तिवारी
पटना

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