

कविता
जब आप लाल साड़ी में केश खोलकर आते हो
आंखो में काजल और माथे पर बिंदी लगाते हो ।
होंठों पर लबरेज मुस्कान सजाकर जब हंसते हो
मंत्रमुग्ध करके सबके दिल में सदैव बसते हो ।
पार्टी, दफ्तर, सम्मेलन में साड़ी पहन जाते हो
अनूठा एक मुकाम हासिल कर वापिस आते हो।
शुरूआती दौर में जब साड़ी पहनना सीखा होगा
यह मुश्किलों भरा अनुभव लगता फीका होगा ।
तब बेतरतीबी से साड़ी पहनना आया होगा
दिल को खुशी और मन को चैन पाया होगा ।
साड़ी आपके लिए बना खास लिबास है
मन मोह लेने वाला मखमली एहसास है ।
विभिन्न रंग साड़ी के जब बाजार में चुनती हो
पहनने पर लगता है जैसे खुद साड़ी बुनती हो ।
हर महिला को साड़ी खरीदना आपसे सीखना है
साड़ी पहनकर आपकी तरह आकर्षक दिखना है।।
– राहुल चौधरी,
कुरूक्षेत्र

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।

Bhut Bdiya ??
बहुत खूब ??
भारतीय संस्कृति की शान है साड़ी
बहुत सुंदर व्याख्यान