स्वतंत्रता दिवस पर विशेष –
भारत आज़ाद है!!
स्वतंत्रता दिवस हो या छब्बीस जनवरी , अचानक जागती देशभक्ति , समाचार पत्रों से लेकर सोशल मीडिया पर ख़ूब चमकती दिख जाती है। हाँ में हाँ सुर मिलाते लोग और उनके कमेंट सब कुछ अंदर तक मुझे जाने क्यों हर बार परेशान करते हैं। हाँ कभी दुनिया में परचम लहराता था मेरे हिंद का । यह भी सच कि मेरे देश को लूट कर ले गए वो विदेशी । सच तो यह भी है कि हम अब तक उससे उबरने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। तब भी मेरा देश परतंत्र था पर अब भी तो है? कौनसी आज़ादी का जश्न मनाते हैं हम? तब भी साँस लेते थे घुटन में, अब भी तो ले रहे हैं!! हैना?
रूढ़िवादिता के शिकार, जातिवाद के शिकार, सांप्रदायिकता के शिकार, गिरती मानसिकता के शिकार और शिकारी कौन ? हम में से ही तो। परतंत्र कौन हम सभी तो।
घुटने के बल चलता है ज़मीर , झूठ से प्रदूषित वातावरण में सच साँस लेता है, रूपया प्रशासन से ले कर निजी रिश्तों तक में हुंकारता है और हम…. हम आज़ाद हैं??
कब तक दूसरों को दोष दे, बेटियों को छुपाना है? कब तक बेटी के पैदा होने पर मातम मनाना है?
कभी इस धर्म ,कभी उस धर्म की आड़ में कब तक दुस्साहस करते अपराधियों को देख हम सब चुप रहेंगे?
जब तक हम एक सुर में न बोलेंगे, जब तक हम अपराधी को केवल अपराधी के तराज़ू में न तोलेंगे, जब तक धृतराष्ट्र बन पट्टी न खोलेंगे हम, यानि कि आप और मैं, नहीं होंगे हम आज़ाद।
बंद करिये दूसरों के सर दोष मढ़ना, बंद करिये मेरा देश तो ऐसा ही है, ऐसा ही रहेगा कहना, बंद करिये अफ़वाहों पर ध्यान देना। खोलिए अपने अंतर्मन के द्वार, बनिये इंसान और उठिये तेरी मेरी के भेद से ऊपर और फ़िर देखिये होते हुए अपने देश को सही अर्थों में आज़ाद होते हुए। उस दिन मैं भी परचम फिर खुली हवा में लहराऊँगी अपने देश की आज़ादी का।तब तक के लिये कहती रहूँगी, लाना है फिर एक इंकलाब….
©विनीता’मेहर’, यू.के.
बिल्कुल सही कहा विनिता जी …. एक और इंकलाब की सख्त जरूरत
शुक्रिया , जी आपसे पूर्णतय: सहमत। जय हिंद
खूबसूरत लेख.जय हिंद
सादर धन्यवाद
Khoob kaha aapne ?
आभारी बहुत आपकी कमल जी , नियमित रूपसे मेरी पोस्ट को पढ़ने के लिये।
Well said and truly we are still groped in our own rotten mentality still we have to change ourselves First ,Nation will automatically change
Superbly penned vinitaji
Nice to read your article …..truly eye opener
Am obliged Sandeep ji, true we definitely need to change a lot . Initiative should be from within.
दुरुस्त फ़रमाया विनीता जी।
जब तक हम मानसिक स्तर पर संकुचित और घ्रणित सोच से आज़ाद नहीं हो जाते तब इस जश्न-ए-आज़ादी का कोई औचित्य नहीं।
शिक्षा और रोज़गार के लिए इंकलाब लाना ही होगा। तभी हम कह सकेंगे कि मेरा भारत महान!
जय हिन्द!!
आभार, आप से सहमत हूँ बहुत कुछ बदलने की आवश्यकता।
अद्भुत, दूरदर्शी सोच है आपकी। आपकी बात सोलह आने सत्य है। हम अब भी आज़ाद नहीं हैं। सच ही कहा आपने, एक और इंकलाब की लहर की ज़रूरत।
नमन, जय हिंद!!!
आभारी बहुत बहुत आपकी , सच कहा आपने
देश के सर्वांगीण विकास हेतु रूढ़िवादिता साँप्रदायिकता और कट्टरवाद को मिटाना तथा सभी देशवासियों में सद्भावना का प्रसार करना अति आवश्यक। विनीताजी का सक्रिय योगदान सराहनीय। हार्दिक शुभकामनाऐं।
शुक्रिया बहुत आपका, आपसे सहमत पूरी तरह। नमन
Bahut sahi poornata sehmat
Vineetaji.. Bilkul sach kaha aapne.. Aapki is soch ko salaam!
जी नमन, वंदे मातरम, शुक्रिया
जय हिन्द ?????वन्देमातरम
Jai hind ????
Jai hind ?????
Bahot khub, sundar mudda uthaya h vini dii aapne.. ???
Naman ??
हार्दिक आभार भाई। इस मुद्दे पर कार्य करना ही होगा।
सटीक और सामयिक मुद्दा उठाया आपने विनीता जी, उत्तम सोच आपकी
Saadar abhaar
Well said vineeta.
Thanks so much
Good one, but the vote banks are more important and people don’t want to change. Religion, caste, useless customs come before nation! If one does it others also do it… Till date we don’t have any punishment for crowd violence. The day that happeneds with full force implementation, the day we learn about Civic duties before our rights, the day we start thinking about others before us… World will change… I just think it will be too late by then.
In the current situation it’s hard to imagine though but we can’t give up, we got to try every effort big or small counts n contributes I guess
Thanks for valuable input.
सही बात है विनीता जी
Shukriya bahut abhaari
Bahut suljha hua lekhan bilkul sach hai jin jaati aur dharmo ne varshon pehle janm liye wo aaj visngtiyon se grast ho Gaye hain jee ka janjal ban Gaye hain
Absolutely true. Thank you so much for your feedback.
यह बात तो शत प्रतिशत सत्य की हम आजाद नहीं
अब तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी कड़ी नजर
सहमत हूँ
सच कहा आपने एक दम
शत प्रतिशत सहमत आप की बात से…नाम की आज़ादी में जी रहे है … अब तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी रोक लगती नज़र आ रही है …
शुक्रिया
बहुत सटीक प्रश्न विनीता जी
Thanks so much
Well written, rightly observed.
शुक्रिया
Bhavanatmak star par judna hoga saare bhed bhaavon se pare ho kar.
Sundar abhivyakti. Jai Hind
सच कहा साक्षी जी