
क्या है?
हँसते चेहरे पर ये शाम क्या है?
हसीं फ़िज़ा पे कोहराम क्या है?
झुकी हैं पलकें शऊर से क्यूँ,
तो इस हयाई का नाम क्या है?
मिले जो लब से दो बूँद साक़ी,
बता जहाँ में फिर जाम क्या है?
मुझे आरजी बस तेरी नज़र ही ,
तो ये बता फिर हराम क्या है?
मैं तलाश में हूँ ऐसी वज़ह की,
जो मुझे बताएँ तिरा नाम क्या है?
बड़ा सख़्त है नज़र का लहज़ा,
पूँछ रहा हाल -ए-तमाम क्या है?
‘कुबेर’ खौफ़ सा लग रहा क्यूँ,
इश्क़ मोहब्बत में काम क्या है?
लेखक
@रामकुबेर कश्यप
हार्दिक आभार आदरणीय